तितली और फूल की आपबीती / Butterfly and Flower-A Dialogue
Please read the amazing work of a talented writer.

बड़े प्यार से बोली,
तुम कितनी अच्छी हो,
इतनी सुन्दरता,
इतनी खुशबू,
इतना रस,
फिर भी तुम कितनी सहज हो,
न कोई घमंड, न गुस्सा…
फूल को अच्छी लगी
ये मीठी बातें सुनकर,
कहने लगी तितली से,
तुम भी तो कितनी अच्छी हो,
शांत और मृदुल,
रंग बिरंगी खूबसूरती,
पर सरलता से लबरेज,
जब मुझ पर आहिस्ते से बैठती हो,
तो मुझमें चार चांद लग जाते हैं,
शीतल हवा के झकझोरे की तरह,
तुम मेरे प्रिये से
मिलने का माध्यम हो…
एक भंवरा है,
कुरूप, गंवार, मोटा और स्वार्थी,
एक तो निर्दयता से
मेरा मकरंद पान करता है
और दूसरे अपनी गुनगुनाहट से
मुझे गूंगा बहरा कर देता है…
और सबसे ज्यादा दुखदायी
तो यह मानव है,
जो मुझे लगाता अवश्य है,
पर पता नहीं कब दिल ही नहीं
मुझे भी तोड़ ले जीते जी…
तितली ने भाव विह्वल हो कर
फूल को आलिंगनबद्ध कर…
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Thank you for your lovely words!!
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You are welcome KK.
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